१ पथिक अकेला
पथिक
अकेला
पावस में
मापता
आनंत को
शीघ्रता से
अंतरतम में
उद्विघ्नता
छट्पटाहट
निकल भागने की
निसिथ अन्धकार से
चलता गया
लगातार और लगातार
पर सुन न सका
पदचाप
घोर अन्धकार के.
ये कविता महात्मा गाँधी के ऊपर लिखी हुयी है की कैसे उन्होंने संघर्ष किया और किस तरह अंत तक लड़ते रहे।
समीर वत्स
law school bhu
sameervatsa@in.com
पथिक
अकेला
पावस में
मापता
आनंत को
शीघ्रता से
अंतरतम में
उद्विघ्नता
छट्पटाहट
निकल भागने की
निसिथ अन्धकार से
चलता गया
लगातार और लगातार
पर सुन न सका
पदचाप
घोर अन्धकार के.
ये कविता महात्मा गाँधी के ऊपर लिखी हुयी है की कैसे उन्होंने संघर्ष किया और किस तरह अंत तक लड़ते रहे।
समीर वत्स
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