गुरुवार, 5 फ़रवरी 2009

तलास : सपनों से परे ..

तलास
बस चला जाता हूँ
अनजानी राहों पर
तलास में किसी के
तलास लगातर
निरंतर
अनवरत
तलास अपनों की
तलास सपनों की
और तलास उनकी भी
जो परे हैं
सपनो से
हमारे और तुम्हारे भी
क्या कभी पुरी होगी
ये जिजीविषा .........

1 टिप्पणी:

  1. नम्बर एक ब्लॉग बनाने की दवा ईजाद देश,विदेशों में बच्ची धूम!!

    http://yaadonkaaaina.blogspot.com/2009/02/blog-post_7934.html

    जवाब देंहटाएं

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