मंगलवार, 26 मई 2009

baat

बातें सब कुछ कह जाती है
लेकिन कभी कभी
बातें भी चुप हो जाती है
जब कोई अपना होबिछुड़ता हुआ
या फ़िर मिले बिछुड़ने के बाद
तब हम बस यही कह पते है कि
कहने के लिए कोई बात ही नही है
और जो कहना है उसके लिए शब्द ही नही है

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