PATHIK ...the wayfarer
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सोमवार, 4 मई 2009
friend
हाँ मैंने पाया है अपनों को
खोने के बाद फ़िर
शायद इसी लिए कुछ ज्यादा ही
चमक रही है आँखें
कुछ आंसू बह जाने के बाद
क्यूँ लगता है डर
आपनो से ही कुछ ज्यादा ।
डब डबा उठती है ऑंखें डर से
कि कहीं फ़िर न खो जायें अपने
पहले की तरह
एक बार फ़िर
1 टिप्पणी:
नवीन
5 अप्रैल 2010 को 8:05 pm बजे
subhaan allah!!!!!!!!!!!!!
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